यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिका ने एक नई शांति योजना पेश की है. लेकिन इस योजना में कई कड़ी शर्तें हैं जो यूक्रेन को कमजोर बना सकती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ये शर्तें यूक्रेन के लिए एक बड़ी गलती साबित होंगी, क्योंकि रूस अब भी बड़ा खतरा बना रहेगा. आइए जानते हैं कि ये शर्तें क्या हैं? क्यों ये यूक्रेन को नुकसान पहुंचा सकती हैं?
योजना की मुख्य शर्तें क्या हैं?
अमेरिकी योजना के अनुसार, यूक्रेन को अपनी सेना को आधा करना होगा. वर्तमान में यूक्रेन की सेना में लगभग 8 से 9 लाख सैनिक हैं, लेकिन इस योजना के बाद यह संख्या आधी रह जाएगी. इसके अलावा, यूक्रेन को अपनी सभी लंबी दूरी की मिसाइलें और हथियार नष्ट करने होंगे. यूक्रेन को डॉनेतस्क क्षेत्र के बाकी हिस्सों को रूस को सौंपना होगा जो अभी उसके कब्जे में हैं.
इसके अलावा, कुछ और मांगें हैं…
यूक्रेन को रूसी भाषा को आधिकारिक राज्य भाषा के रूप में मान्यता देनी होगी. अभी यूक्रेन में यूक्रेनी मुख्य भाषा है, लेकिन रूसी बोलने वाले लोग भी बहुत हैं.
रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च को यूक्रेन में आधिकारिक दर्जा देना होगा. यह चर्च रूस से जुड़ा है. यूक्रेन में पहले से विवाद का विषय है.
अमेरिका और यूरोप को क्रीमिया, डॉनेतस्क और लुहांस्क क्षेत्रों को रूस का हिस्सा मानकर कानूनी रूप से मान्यता देनी होगी. ये क्षेत्र 2014 से रूस के कब्जे में हैं, लेकिन यूक्रेन इन्हें अपना मानता है.
रूस की सेना अभी भी बहुत बड़ी है: रूस की सेना में 14 से 15 लाख सैनिक हैं. अगर यूक्रेन की सेना आधी हो गई, तो रूस की तुलना में यूक्रेन 5-6 गुना कमजोर हो जाएगा. रूस हर महीने 30-40 हजार नए सैनिक भर्ती कर रहा है और अपनी सेना को 2026-2027 तक और बड़ा बनाने की योजना बना रहा है.
समझौते का पालन न करने का खतरा: रूस ने पहले भी कई समझौते तोड़े हैं, जैसे 1994 का बुडापेस्ट समझौता और 2014-2015 के मिन्स्क समझौते. अगर यूक्रेन कमजोर हो गया, तो रूस कभी भी दोबारा हमला कर सकता है.
2014 की गलती दोहराना: 2014 में यूक्रेन की सेना छोटी थी, इसलिए रूस ने आसानी से क्रीमिया और डॉनबास पर कब्जा कर लिया. अब फिर वही स्थिति बन सकती है.
यूक्रेन के अधिकारी और विशेषज्ञ कहते हैं कि यह योजना यूक्रेन को रूस के सामने झुकने पर मजबूर कर रही है.

