नई दिल्ली:
दिल्ली की हवा अब सांसों में जहर बनकर घुल चुकी है. शहर के हर कोने में ऐसा अदृश्य ज़हर तैर रहा है, और हम सब अनजाने में इसे पी रहे हैं. सवाल ये है कि क्या दिल्ली अब रहने लायक बची है? क्योंकि दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण आबोहवा को लगातार खराब करता जा रहा है. जबकि ठंड का पीक आना अभी बाकी है. रविवार सुबह 6 बजे का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 380 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है. पिछले तीन दिनों का ट्रेंड भी डराने वाला है. 20 नवंबर को AQI 391, 21 नवंबर को 364, और 22 नवंबर को 370. यानी हालात सुधरने के बजाय बिगड़ रहे हैं.
इलाका AQI
वजीरपुर 449
विवेक विहार 446
रोहिणी 438
जहांगीरपुरी 438
बवाना 431
आनंद विहार 427
अशोक विहार 421
मुंडका 415
नरेला 412
वर्क फ्रॉम होम की सलाह
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए निजी दफ्तरों के लिए 50 प्रतिशत ऑन-साइट वर्कफोर्स कैपेसिटी पर काम करने की एडवाइजरी जारी की है. इस दौरान बाकी स्टाफ घर से काम करना जारी रखेंगे. यह फैसला एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (सीएक्यूएम) के नए निर्देशों के मुताबिक लिया गया है. दरअसल, दिल्ली में ग्रैप-3 की पाबंदियां लागू हैं. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जोर देकर कहा कि ग्रैप-3 के तहत दिल्ली सरकार पब्लिक हेल्थ और एयर क्वालिटी प्रोटेक्शन पर ज्यादा ध्यान देते हुए पॉल्यूशन कंट्रोल के उपायों को एक्टिव रूप से लागू कर रही है.
स्वास्थ्य पर असर
डॉक्टरों के मुताबिक, इस स्तर का प्रदूषण फेफड़ों की क्षमता को कमजोर करता है, दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है, और बच्चों व बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है. लंबे समय तक इस हवा में रहने से क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है.
बाहर निकलते समय N95 मास्क का इस्तेमाल करेंसुबह की वॉक या आउटडोर एक्सरसाइज से बचेंघर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करेंपानी ज्यादा पिएं और एंटीऑक्सीडेंट युक्त डाइट लें

