मोदी ने कहा कि मुझे नहीं पता कि कांग्रेस के जो साथी दल हैं, उन्होंने इस चुनाव का विश्लेषण किया है कि नहीं किया है. ये चुनाव इन साथियों के लिए भी एक संदेश है. अब कांग्रेस पार्टी 2024 से एक परजीवी कांग्रेस के रूप में जानी जाएगी. 2024 से जो कांग्रेस है, वो परजीवी कांग्रेस है और परजीवी वो होता है जो जिस शरीर के साथ रहता है, उसी को खाता है. कांग्रेस भी जिस पार्टी के साथ गठबंधन करती है, उसी के वोट खा जाती है और अपनी सहयोगी पार्टी की कीमत पर वो फलती-फूलती है और इसीलिए कांग्रेस, परजीवी कांग्रेस बन चुकी है. यह तथ्यों के आधार पर कह रहा हूं. आपके माध्यम से सदन और सदन के माध्यम से देश के सामने कुछ आंकड़े रखना चाहता हूं. जहां-जहां बीजेपी-कांग्रेस की सीधी फाइट थी, जहां कांग्रेस मेजर पार्टी थी, वहां कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सिर्फ 26 परसेंट है. लेकिन जहां वो किसी का पल्लू पकड़ के चलते थे, ऐसे राज्यों में उनका स्ट्राइक रेट 50 परसेंट है. कांग्रेस की 99 सीटों में से ज्यादातर सीटें उनके सहयोगियों ने जिताया है और इसलिए कह रहा हूं कि परजीवी कांग्रेस है. 16 राज्यों में कांग्रेस जहां अकेले लड़ी, वोट शेयर गिर चुका है. गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश, तीन राज्यों में जहां कांग्रेस अपने दम पर लड़ी और 64 में से सिर्फ दो सीट जीत पाई है. इसका साफ मतलब है कि इस चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह परजीवी बन चुकी और अपने सहयोगी दलों के कंधे पर चढ़कर के सीटों का आंकड़ा बढ़ाया है. कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के जो वोट खाए हैं, न खाए होते तो लोकसभा में उनके लिए इतनी सीटें जीत पाना भी बहुत मुश्किल था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा में मंगलवार को संबोधन हुआ तो उस समय विपक्ष की ओर से जमकर हंगामा और नारेबाजी भी देखने को मिला। बीजेपी ने इसके लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने विपक्षी सांसदों को उकसाया जिसके कारण सदन में यह अशोभनीय घटना घटी। यह घटना मंगलवार को उस समय हुई जब प्रधानमंत्री मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दे रहे थे। विपक्षी सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी और प्रधानमंत्री के भाषण में बाधा डालने की कोशिश की। बीजेपी ने आरोप लगाया कि मां सोनिया गांधी की तरह ही राहुल गांधी ने ऐसा ही किया।
सोमवार को कांग्रेस नेता और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी को जमकर घेरा था. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उसका जवाब देना था. देशवासी मंगलवार को सुबह से ही पीएम नरेंद्र मोदी का स्पीच सुनने के लिए बेकरार थे. क्योंकि पीएम मोदी लोकसभा में जब बोलते हैं तो कांग्रेस और विपक्ष को कुंडली खोल कर रख देते रहे हैं. जाहिर है कि कयास लगाए जा रहे थे कि आज पीएम मोदी कांग्रेस की जमकर धुलाई करेंगे. मोदी राहुल गांधी के जवाब में खूब बोले, करीब 2 घंटे से ऊपर (करीब 2 घंटा 17 मिनट) बोलते रहे. उन्होंने कांग्रेस , कांग्रेस नेताओं, नेहरू और इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक के बारे में बोला. राहुल गांधी ने जिन खास बातों की चर्चा की थी उनमें से कुछ एक को छोड़कर अधिकतर मुद्दों पर उन्होंने अपने भाषण में शामिल किया. जाहिर अब इस बात पर बहस होगी कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में किसने बेहतर बोला. आइए देखते हैं कि पीएम मोदी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को जवाब देने कितना सफल साबित हुए. साथ ही पीएम मोदी के भाषण के मायने क्या रहे?
मोदी का मेन फोकस पर कांग्रेस पर रहा, अखिलेश और ममता की चर्चा तक नहीं
पीएम नरेंद्र मोदी ने आज पूरी स्पीच के दौरान राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को ही टार्गेट पर रखा. जबकि कल से ही उन पर टार्गेट करने वालों में तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेता भी शामिल थे. पर पीएम मोदी का फोकस कहीं और नहीं था. उन्होंने नेहरू, इंदिरा गांधी यहां तक राजीव गांधी की भी चर्चा की. मोदी की कोशिश यह साबित करने पर रही कि कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के लिए परजीवी की तरह है. शायद उन्हें लगता है कि उनकी स्पीच से समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस आदि कांग्रेस से सजग होंगी.
मोदी ने कहा कि मुझे नहीं पता कि कांग्रेस के जो साथी दल हैं, उन्होंने इस चुनाव का विश्लेषण किया है कि नहीं किया है. ये चुनाव इन साथियों के लिए भी एक संदेश है. अब कांग्रेस पार्टी 2024 से एक परजीवी कांग्रेस के रूप में जानी जाएगी. 2024 से जो कांग्रेस है, वो परजीवी कांग्रेस है और परजीवी वो होता है जो जिस शरीर के साथ रहता है, उसी को खाता है. कांग्रेस भी जिस पार्टी के साथ गठबंधन करती है, उसी के वोट खा जाती है और अपनी सहयोगी पार्टी की कीमत पर वो फलती-फूलती है और इसीलिए कांग्रेस, परजीवी कांग्रेस बन चुकी है. यह तथ्यों के आधार पर कह रहा हूं. आपके माध्यम से सदन और सदन के माध्यम से देश के सामने कुछ आंकड़े रखना चाहता हूं. जहां-जहां बीजेपी-कांग्रेस की सीधी फाइट थी, जहां कांग्रेस मेजर पार्टी थी, वहां कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सिर्फ 26 परसेंट है. लेकिन जहां वो किसी का पल्लू पकड़ के चलते थे, ऐसे राज्यों में उनका स्ट्राइक रेट 50 परसेंट है. कांग्रेस की 99 सीटों में से ज्यादातर सीटें उनके सहयोगियों ने जिताया है और इसलिए कह रहा हूं कि परजीवी कांग्रेस है. 16 राज्यों में कांग्रेस जहां अकेले लड़ी, वोट शेयर गिर चुका है. गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश, तीन राज्यों में जहां कांग्रेस अपने दम पर लड़ी और 64 में से सिर्फ दो सीट जीत पाई है. इसका साफ मतलब है कि इस चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह परजीवी बन चुकी और अपने सहयोगी दलों के कंधे पर चढ़कर के सीटों का आंकड़ा बढ़ाया है. कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के जो वोट खाए हैं, न खाए होते तो लोकसभा में उनके लिए इतनी सीटें जीत पाना भी बहुत मुश्किल था.