नव्य भव्य जन्मभूमि पर बने दिव्य राममंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को ध्वजारोहण किया। इसी के साथ नौ नवंबर 2019, पांच अगस्त 2020 तथा 22 जनवरी 2024 के बाद 25 नवंबर की तिथि भी सनातनधर्मियों के स्वर्णिम इतिहास में दर्ज हो गई। सनातन परंपरा और आस्था के प्रतीक धर्मध्वज का आज राम मंदिर के शिखर पर प्रतिष्ठापन अयोध्या के संत समाज के लिए भावपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण बन गया।
पीएम मोदी ने राम मंदिर से जुड़े कारीगर वास्तुकार, श्रमवीर को भी किया प्रणाम
प्रधानमंत्री ने राम मंदिर से जुड़े हर कारीगर वास्तुकार, श्रमवीर को प्रणाम करते हुए कहा कि इस नगरी ने बताया कि कैसे एक राजकुमार मर्यादा पुरुषोत्तम बनता है। शबरी, केवट, निषादराज की भूमिका महत्वपूर्ण रही। शबरी माता का मंदिर जनजाति भाव के प्रेम का प्रतीक है, निषाद राज का मंदिर मित्रता का साक्षी है। माता अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, जटायु और गिलहरी के मंदिर बड़े लक्ष्य के लिए छोटे प्रयास का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि महिला, दलित, वंचित, युवा , आदिवासी हमारे विकास के केंद्र में हैं। हम शक्ति नहीं सहभागिता से आगे बढ़ने में विश्वास करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन सियावर रामचंद्र की जय से प्रारंभ किया, उन्होंने कहा आज सदियों के घाव भर रहे, सदियों की वेदना कम हो रही। यह उस यज्ञ की पूर्णाहुति है जिसकी अग्नि पांच सौ साल तक प्रज्ज्वलित रही। उन्होंने कहा यह संकल्प से सिद्धि का प्रतीक है, सत्यमेव जयते का प्रतीक है।

